इस नवरात्र करें, शीघ्र फलदायी अखंड लक्ष्मी साधना प्रयोग कनकधारा स्तोत्र के साथ
कनकधारा स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य ने की थी। यह स्तोत्र विशेष रूप से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए जाना जाता है। आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र की रचना तब की थी जब उन्होंने एक गरीब महिला को आशीर्वाद देकर उसके जीवन में धन-समृद्धि का प्रवाह किया था। इस स्तोत्र का नाम “कनकधारा” इसलिए पड़ा क्योंकि “कणक” का अर्थ सोना होता है और “धारा” का अर्थ प्रवाह। ऐसा कहा जाता है कि जब शंकराचार्य ने यह स्तोत्र गाया, तो स्वर्ण की वर्षा होने लगी थी, जिससे उस महिला के जीवन में लक्ष्मी कृपा आई।
नवरात्र एक विशेष समय होता है जब साधक अपनी साधना को शक्ति प्रदान कर सकते हैं। नवरात्र के दौरान की गई साधनाएँ अधिक प्रभावी मानी जाती हैं, क्योंकि इस समय देवी दुर्गा और माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय होता है। यदि आप आर्थिक समृद्धि और अखंड लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो कनकधारा स्तोत्र का जाप एक अत्यंत प्रभावी साधना हो सकती है।
कनकधारा स्तोत्र का महत्त्व
कनकधारा स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा को शीघ्र प्राप्त करने के लिए सिद्ध माना गया है। यह स्तोत्र उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है जो आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं या धन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं।
साधना करने का सही समय (Timing)
नवरात्र के दिनों में साधना का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। निम्न समय इस साधना के लिए उपयुक्त माने जाते हैं:
- प्रातःकाल: सूर्योदय के पहले या सूर्य उदय के समय
- संध्याकाल: सूर्यास्त के बाद का समय (सांध्य समय)
- आप इस साधना को दिन में दो बार कर सकते हैं, लेकिन अगर यह संभव न हो तो संध्या का समय सबसे उत्तम है।
साधना विधि (Vidhi)
- स्थान चयन: सबसे पहले एक शांत स्थान चुनें जहाँ आपको कोई व्यवधान न हो। यह स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।
- आसन: साधना के लिए आप कुश का आसन या लाल वस्त्र का आसन बिछा सकते हैं। आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- माँ लक्ष्मी की स्थापना: माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
- शुद्धि एवं संकल्प: अब अपने हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि आप अखंड लक्ष्मी साधना कर रहे हैं और इससे आपको धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो।
- नैवेद्य अर्पण: जाप के बाद माँ लक्ष्मी को नैवेद्य (फलों, मिठाइयों) का भोग लगाएं।
इन श्लोकों के साथ पूरे कनकधारा स्तोत्र का जाप करने से शीघ्र लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
जप संख्या (Jaap Sankhya)
- प्रतिदिन 11 माला जाप करें।
- यदि अधिक माला करने की इच्छा हो तो 21 माला या 40 माला भी की जा सकती हैं, परंतु न्यूनतम 11 माला अवश्य करें।
- जाप माला : स्फटिक की माला
साधना के फायदे
- आर्थिक समृद्धि: कनकधारा स्तोत्र के जाप से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
- धन का प्रवाह: जो व्यक्ति नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करता है, उसके जीवन में धन का प्रवाह निर्बाध होता है।
- शांति और स्थिरता: इस साधना से मन में शांति आती है और मानसिक तनाव दूर होता है।
कनकधारा स्तोत्र इस प्रकार हैं,:
कनकधारा स्तोत्र
ॐ अङ्गं हरै (हरेः) पुलकभूषण–माश्रयन्ती भृङ्गाऽगनेव मुकुला–भरणं तमालं |
अंगीकृता–ऽखिलविभूतिर–पॉँगलीला–माँगल्य–दाऽस्तु मम् मङ्गलदेवतायाः || १ ||
मुग्धा मुहुर्विदधी वदने मुरारेः प्रेमत्रपा प्रणि–हितानि गताऽगतानि ।
मला–र्दशोर्म–धुकरीव महोत्पले या सा में श्रियं दिशतु सागर सम्भवायाः || २ ||
विश्वामरेन्द्र पद–विभ्रम–दानदक्षमा–नन्दहेतु–रधिकं मुरविद्विषोपि |
ईषन्निषीदतु मयि क्षण मीक्षणार्धं–मिन्दीवरोदर सहोदर–मिन्दीरायाः || ३ ||
आमीलिताक्ष–मधिगम्य मुदा–मुकुन्दमा–नन्द कंद–मनिमेष–मनंगतन्त्रं |
आकेकर स्थित कनीतिक–पद्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्ग शयाङ्गनायाः || ४ ||
बाह्यन्तरे मुरजितः (मधुजितः) श्रुत–कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति ।
कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याण–मावहतु में कमला–लयायाः ॥ ५ ॥
कालाम्बुदालि ललितो–रसि कैटभारे–र्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव |
मातुः समस्त–जगतां महनीय–मूर्तिर्भद्राणि में दिशतु भार्गव–नंदनायाः || ६ ||
प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत प्रभावा–न्मांगल्य–भाजि मधुमाथिनी मन्मथेन |
मय्यापतेत्त–दिह मन्थर–मीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालय–कन्यकायाः || ७ ||
दद्याद दयानु–पवनो द्रविणाम्बु–धारामस्मिन्न–किञ्चन विहङ्ग–शिशो विषण्णे |
दुष्कर्म–धर्म–मपनीय चिराय दूरं नारायण–प्रणयिनी–नयनाम्बु–वाहः ॥ ८ ॥
इष्टा–विषिश्टम–तयोऽपि यया दयार्द्र–दृष्टया त्रिविष्ट–पपदं सुलभं लभन्ते ।
दृष्टिः प्रहष्ट–कमलोदर–दीप्ति–रिष्टां पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्कर–विष्टरायाः || ९ ||
गीर्देव–तेति गरुड़–ध्वज–सुन्दरीति शाकम्भ–रीति शशि–शेखर–वल्लभेति |
सृष्टि–स्थिति–प्रलय–केलिषु संस्थि–तायै तस्यै नमस्त्रिभुवनै–कगुरोस्तरुण्यै || १० ||
श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभ–कर्मफल–प्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणार्ण–वायै |
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र–निकेतनायै पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम–वल्लभायै || ११ ||
नमोऽस्तु नालीकनि–भाननायै नमोऽस्तु दुग्धो–दधि–जन्म–भूत्यै |
नमोऽस्तु सोमा–मृत–सोदरायै नमोऽस्तु नारायण–वल्लभायै || १२ ||
नमोऽस्तु हेमाम्बुज पीठिकायै नमोऽस्तु भूमण्डल नयिकायै ।
नमोऽस्तु देवादि दया–परायै नमोऽस्तु शारङ्ग–युध वल्लभायै || १३ ||
नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायै नमोऽस्तु विष्णोरुरसि संस्थितायै ।
नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायै नमोऽस्तु दामोदरवल्लभायै || १४ ||
नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायै नमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै |
नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायै नमोऽस्तु नन्दात्मजवल्लभायै ॥ १५ ॥
सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय–नंदनानि साम्राज्य–दान–विभवानि सरो–रुहाक्षि ।
त्वद्वन्द–नानि दुरिता–हरणो–द्यतानी मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये || १६ ||
यत्कटाक्ष–समुपासना–विधिः सेव–कस्य सकलार्थ–सम्पदः ।
सन्त–नोति वचनाङ्ग–मानसै–स्त्वां मुरारि–हृदयेश्वरीं भजे ॥ १७ ॥
सरसिज–निलये सरोज–हस्ते धवल–तमांशुक–गन्धमाल्य–शोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन–भूतिकरि प्रसीद मह्यं ॥ १८ ॥
दिग्ध–स्तिभिः कनककुम्भ–मुखावसृष्ट–स्वर्वाहिनी–विमलचारु–जलप्लु तांगीं ।
प्रात–र्नमामि जगतां जननी–मशेष–लोकाधिनाथ–गृहिणी–ममृताब्धि–पुत्रीं || १९ ॥
कमले कमलाक्ष–वल्लभे त्वां करुणा–पूरतरङ्गी–तैर–पारङ्गैः ।
अवलोक–यमां–किञ्चनानां प्रथमं पात्रम–कृत्रिमं दयायाः || २० ||
स्तुवन्ति ये स्तुति–भिरमू–भिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवन–मातरं रमां ।
गुणाधिका गुरु–तरभाग्य–भाजिनो (भागिनो) भवन्ति ते भुवि बुध–भाविता–शयाः || २१ ||
ॐ सुवर्ण–धारास्तोत्रं यच्छंकराचार्य निर्मितं |
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स कुबेरसमो भवेत || २२ ||
॥ इति श्रीमद्द शंकराचार्य विरचित कनकधारा स्तोत्र सम्पूर्णं॥
मंत्र (Mantra)
जाप: प्रतिदिन 11 माला (1 माला = 108 बार) कनकधारा स्तोत्र का जाप करें। यह जाप कम से कम 9 दिन तक निरंतर करें। यदि संभव हो तो इसे आप 21 या 40 दिनों तक भी कर सकते हैं।
जाप माला : स्फटिक की माला
महालक्ष्मी मंत्र विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए जपे जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख महालक्ष्मी मंत्र दिए जा रहे हैं:
1. महालक्ष्मी बीज मंत्र
यह सबसे शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र माना जाता है:
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥
इस मंत्र का जाप करने से धन, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
2. श्री महालक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥
यह मंत्र माँ लक्ष्मी की कृपा से भौतिक समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
3. महालक्ष्मी अष्टक मंत्र
ॐ नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
इस मंत्र का जाप करते समय माँ लक्ष्मी को अपने मन, शरीर और जीवन में स्वागत किया जाता है।
4. लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि।तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
यह मंत्र ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए जपा जाता है।
इन मंत्रों का नित्य जाप करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
साधना विधि और जाप संख्या:
For whom to book Puja | To anyone who is looking for Growth in his Career/Business/Job |
Best time to do अखंड लक्ष्मी साधना प्रयोग | Any Ashtami, Chaturdashi, and Tritiya of Shukla paksha,/ Guru Pushya Nakshtra/ Pushya Nakshtra/ Friday /Thursday/Full Moon and No Moon/Navratri after taking a bath |
Number of times to chant for Sidhdhi | 1,25,000 Times Mantra Jaap and 1100 Stotra Recitation |
Who can do अखंड लक्ष्मी साधना प्रयोग | Anyone |
Chant this mantra facing | East In front of God Maa Lakshmi, Lord Ganesh |
Best time to do अखंड लक्ष्मी साधना प्रयोग | Day Time/ evening time in Abhijit Muhurt |
Number of times to do अखंड लक्ष्मी साधना प्रयोग | 1 Time In every 3 Months |
निष्कर्ष
नवरात्र के पावन अवसर पर माँ लक्ष्मी की अखंड कृपा प्राप्त करने के लिए कनकधारा स्तोत्र का जाप एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है। इस साधना को सही विधि और समय पर करने से साधक को शीघ्र फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र के दौरान यह साधना आपको मनचाही समृद्धि, सुख और ऐश्वर्य प्रदान कर सकती है।
यह कनकधारा स्त्रोत (Kanakdhara Strot) माता लक्ष्मी जी को समर्पित किया गया है| यह कनकधारा शब्द दो शब्द कनकम व धारा से मिलकर बना है| इसमें कनकम का अर्थ – “सोने या स्वास्थ्य” तथा धारा का अर्थ – “संभाल कर रखने वाले” से होता है| जो भी व्यक्ति कनकधारा स्त्रोत (Kanakdhara Strot) का नियमित रूप से जाप करता है|
उसके घर में सदैव ही माता लक्ष्मी जी का निवास होता है| अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा व साथ ही कनकधारा स्तोत्र (Kanakdhara Stotra) का जाप करना करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है| इस दिन माँ लक्ष्मी जी के साथ कुबेर, भगवान गणेश तथा भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है|
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