अगर आपके काम एकदम लास्ट में आ कर किसी न किसी वजह से रुक जाते है, काम बनाते बनाते एक दम लास्ट में ही कोई न कोई विघ्न बाधा आ जाती h। घर में शादी की बीटा या बेटी हो, और किसी न किसी वजह से उसकी शादी नहीं हो पा रही हो, पैसो की दिक्कत हो, या कोई काम चल ही न रहा हो, और साथ ही में अगर आपके घर में साउथवेस्ट में कोई न कोई खराबी हो, जैसे की टॉइलट, या कोई गढ्ढा , अंडरग्राउंड वाटर टेंक या दीवार में सीलन है, तो आप समझ लीजिये की आपको पितृ दोष है। और अमावस्या एवं सोमवती अमावस्या इस दोष से मुक्ति पाने के लिए एकदम सही समय है। यहाँ पर आपको संक्षिप्त एक वैदिक हवन की जानकारी दे रही हु, जो सिर्फ और सिर्फ १०-१५ मिनिट में पूरा हो जायेगा, जिसे आप अपने रोज़ के कामो के साथ सिर्फ आधा घंटा का टाइम निकल कर हर अमावस्या को करेंगे तो आपको बहुत अच्छा लाभ होगा।
हवन सामग्री :
- पांच मेवा – १ पाव
- गुड़ -१ पाव
- घी -१/२ किलो
- पिली सरसो – १०० ग्राम
- कमलगट्टा – १०० ग्राम
- काली मिर्च – १०० ग्राम
- शहद -१०० ग्राम,
- कपूर-१ पैकेट
- काळा तिल- १ किलो
- जावा /जो -१ किलो
- चावल – १ किलो
- गुग्गल -१०० ग्राम
- कांडा -१ / हवन समिधा -१ पैकेट
सभी सामग्री को मिला ले, १ कटोरी घी अलग करके रख ले। फिर मिटटी का बर्तन या हवं कुंड या किसी तसले में कपूर से कांडा जला कर निचे लिखी हुई आहुतिया दे।
घर पर हवन करने की सरल विधि:
- हवन करने के लिए सबसे पहले एक उचित जगह पर आठ ईंटों से हवन कुंड बना लें. बाज़ार से भी बने बनाए हवन कुंड लाए जा सकते हैं.
- हवन कुंड के पास धूप-दीप जलाएं.
- कुंड पर स्वास्तिक बनाकर रेड धागा कलावा बांधें और फिर उसकी पूजा करें.
- हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें.
- हवन कुंड में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की मंत्रों के साथ आहुति दें.
- हवन करते समय आहुति देते समय ‘स्वाहा’ शब्द का उच्चारण करें.
- हवन सामग्री को सिर्फ़ सोना, चांदी, पीतल, कांसे, या पत्तल में ही रखें.
- हवन सामग्री को स्टील या लोहे के बर्तन में न रखें.
- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए.
- हवन का मुख्य मकसद वायुमंडल को शुद्ध करना होता है
सर्वप्रथम सात मन्त्रों से सात आहुतियाँ केवल घृत की दी जाती हैं । इन आहुतियों के साथ हवन सामग्री नहीं होमी जाती । घी पिघला हुआ रहे । स्रुवा को घी में डुबाने के बाद उसका पैंदा घृत पात्र के किनारे से पोंछ लेना चाहिए, ताकि घी जमीन पर न टपके । स्वाहा उच्चारण के साथ ही आहुति दी जाए । स्रुवा लौटाते समय घृत पात्र के समीप ही रखे हुए, जल भरे प्रणीता पात्र में बचे हुए घृत की एक बूँद टपका देनी चाहिए |
१- ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये इदं न मम॥
२- ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय इदं न मम॥
३- ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये इदं न मम॥
४- ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय इदं न मम॥
५- ॐ भूः स्वाहा । इदं अग्नये इदं न मम॥
६- ॐ भुवः स्वाहा । इदं वायवे इदं न मम॥
७- ॐ स्वः स्वाहा । इदं सूर्याय इदं न मम॥
ॐ गंगणपतये नमः स्वाहा – ११ बार
गुरु देव की आहुति
ॐ श्री गुरुवे नमः स्वाहा , ॐ श्री परम गुरुवे नमः स्वाहा , ॐ परापर गुरुवे नमः स्वाहा – ११ बार
ग्राम देवताभ्यो नमः स्वाहा – ११ बार
क्षं क्षेत्रपालाय नमः स्वाहा -८ बार
कुदेवी/देवता की आहुति -११ बार
ॐ पितृ देवाय नमः स्वाहा- २१ बार
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा -१०८ बार
पूर्णाहुति मंत्र
पूर्णाहुति मंत्र (Purnahuti Mantra)
ओम पूर्णमद : पूर्णमिदम् पूर्णात पुण्य मुदज्यते
पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल बिसिस्यते स्वाहा।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
फिर पूर्णाहुति मंत्र बोल कर हवन सम्पूर्ण करे,और विष्णु भगवन का ये हवन अपने पितरो को समर्पित करे, भगवन से प्रार्थना करे की वो उनको अपनी शरण में ले। और अपने पितरो से प्रार्थाना करे की वो हमे उन्नति का आशीर्वाद दे।
ॐ नमः इति
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